ओलिंपिक में 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट में भारत की मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इसी इवेंट में तुर्किए को सिल्वर मेडल मिला। यूसुफ डिकेच और शेववल इलैदा तरहान की जोड़ी ने देश के लिए यह मेडल जीता। अपने इवेंट खत्म होने के दो दिन बाद यूसुफ डिकेच सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। उनका शूटिंग का अंदाज हर किसी का ध्यान खींच रहा है।
क्यों वायरल हो रहे डिकेच?
तुर्किए के यूसुफ डिकेच 51 साल के शूटर हैं। उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर कई मीम का सबब बन चुकी है, जिसमें वह ओलिंपिक में सिर्फ एक आम-सा चश्मा पहनकर निशाना लगाते दिख रहे हैं। यह तस्वीर वायरल इसलिए हो रही है कि जहां एक ओर ओलिंपिक में हिस्सा लेने वाले बाकी शूटर्स एक-एक पॉइंट हासिल करने के लिए स्पेशल चश्मे और नॉइज कैंसल करने वाले स्पेशल हेडफोन लगाते हैं।
यूसुफ डिकेच केवल एक चश्मे और इयर प्लग के साथ एक हाथ जेब में डालकर सिल्वर पर निशाना लगाने में सफल रहे। डिकेच इसी साल ओलिंपिक में अपना पहला मेडल जीतने में सफल हुए। इस उम्रदराज शूटर का यह केयर-फ्री अप्रोच खेलप्रेमियों को खूब भा रहा है।
कौन हैं यूसुफ डिकेच?
तुर्किए के गोकसन शहर में जन्मे यूसुफ डिकेच सेना में रह चुके हैं। ओलिंपिक में डिकेच पहले बार नहीं दिखे हैं। वह 2008 से हर ओलिंपिक में हिस्सा ले चुके हैं। हालांकि पहली बार उन्होंने मेडल पर निशाना लगाया है। उन्होंने 2001 में स्पोर्ट्स शूटिंग की शुरुआत की थी।
वह पिस्टल इवेंट की कई कैटेगरी में नेशनल चैंपियन रह चुके हैं। 2006 में नॉर्वे में हुए मिलिट्री वर्ल्ड चैंपियनशिप के 25 मीटर सेंटर फायर पिस्टल इवेंट में डिकेच ने वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया था। शूटिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में 2014 में उन्होंने दो गोल्ड के अलावा एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज जीता था। पिछले साल बाकू में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप में यूसुफ डिकेच ने मिक्स्ड टीम इवेंट में सिल्वर जीता था।
मिलिट्री स्कूल से की पढ़ाई, करियर में जीते 10 गोल्ड
यूसुफ डिकेच का जन्म 1973 में तुर्किए के गोकसुन जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही रहकर की. इसके बाद 1994 में अंकारा में मौजूद मिलिट्री स्कूल में दाखिला लिया. ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद वो मिलिट्री में एक कॉर्पोरल बने. इसके बाद उन्हें सार्जेंट के पद पर प्रोमोट किया गया. सेना में कुछ समय तक अपनी सेवाएं देने के बाद 2001 में डिकेच शूटिंग के खेल में हाथ आजमना शुरू किया और तभी से वो मिलिट्री नेशनल टीम की तरफ से नेशनल गेम्स में हिस्सा लेते रहे हैं.