Menu

Aparajita Bill 2024 बलात्कार की सजा अबसे फांसी, पढे पूरी खबर

thebetterindia 3 months ago 0 2

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से एक दुष्कर्म रोधी बिल  पारित किया, जिसमें पीड़िता की मौत या ‘कोमा’ जैसी गंभीर स्थिति में जाने पर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान शामिल है। इस बिल  पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा देने की मांग की, जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून लागू करने में विफल रहे हैं। इस बिल  के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।

बिल का नाम और उद्देश्य

इस बिल  का नाम है ‘अपराजिता महिला एवं बाल बिल  (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) बिल  2024’। इसका मुख्य उद्देश्य दुष्कर्म और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को लागू करना और महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा को और सुदृढ़ बनाना है।

बिल की आवश्यकता

यह बिल  कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को एक महिला चिकित्सक के साथ हुए कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद पेश किया गया। इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था, और डॉक्टर्स ने विरोध में सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की। इस व्यापक प्रदर्शन के बीच, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया और यह बिल  पारित किया गया।

बिल के मुख्य प्रावधान

यह बिल  भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, और पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम 2012 के तहत संशोधन प्रस्तावित करता है। इस बिल  का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामलों की त्वरित जांच, त्वरित सुनवाई और सख्त सजा सुनिश्चित करना है।

बिल  में भारतीय न्याय संहिता की धारा 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1), और 124(2) में संशोधन किया गया है। इनमें से धारा 64 के तहत दुष्कर्म के दोषियों के लिए सजा की अवधि बढ़ाकर प्राकृतिक जीवन के शेष समय तक या मृत्युदंड कर दी गई है। धारा 66 में संशोधन के तहत दुष्कर्म के कारण पीड़िता की मौत या कोमा में जाने की स्थिति में दोषियों को मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में धारा 70 में संशोधन कर आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

इसके अलावा, बिल  में यौन हिंसा की शिकार महिलाओं की पहचान सार्वजनिक करने पर सजा को भी सख्त किया गया है, जिसमें तीन से पांच साल की सजा का प्रावधान है। बाल शोषण के मामलों में भी सजा को सख्त किया गया है, और ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों और जांच के लिए टास्क फोर्स के गठन का प्रावधान भी शामिल किया गया है।

अन्य राज्यों की पहल

पश्चिम बंगाल से पहले आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र विधानसभा ने भी दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में मृत्युदंड को अनिवार्य करने वाले बिल  पारित किए थे। हालांकि, इन विधेयकों को अभी तक राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है।

बिल का भविष्य

पश्चिम बंगाल विधानसभा में यह बिल  विपक्ष के समर्थन से आसानी से पारित हो गया है, लेकिन इसे लागू करने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक होगी। चूंकि आपराधिक कानून समवर्ती सूची में आता है, इसलिए राज्य विधानसभा द्वारा पारित कानून को लागू किया जा सकता है, भले ही वह संसद से पारित कानून से अलग हो। हालांकि, इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी अनिवार्य है।

भाजपा का रुख

भाजपा विधायकों ने विधानसभा में पेश इस बिल  का समर्थन किया, हालांकि नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में हुए जघन्य अपराध पर पर्दा डालने के लिए यह बिल  पेश किया है। भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग भी की, जबकि ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे की भी मांग की। शुभेंदु अधिकारी ने बिल  के पारित होने के बाद राज्य सरकार से इसे तुरंत लागू करने की मांग की।

ममता बनर्जी का बयान

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार से मौजूदा कानूनों में संशोधन की मांग की गई थी, लेकिन केंद्र ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि देश में हर 15 मिनट में एक दुष्कर्म की घटना हो रही है, जिससे ऐसे कानून की मांग बढ़ रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने की अपील की।

– Advertisement – BuzzMag Ad
Written By

Leave a Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

– Advertisement – BuzzMag Ad