Kamla Mills
शुक्रवार, 6 सितंबर को सुबह 6.29 बजे मुंबई के कमला मिल्स कंपाउंड में मौजूद टाइम्स टॉवर में भयानक आग लग गई. आग की फुटेज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं. फायर ब्रिगेड की टीमें व्यावसायिक प्रतिष्ठान में आग बुझाने का काम कर रही हैं. बीएमसी की एमएफबी, पुलिस, एम्बुलेंस सेवाएं, बेस्ट सप्लाई वार्ड स्टाफ को तैनात किया गया है.
मुंबई के कमला मिल्स कंपाउंड में आग
अभी तक इस हादसे में किसी के कोई चोट लगने की जानकरी सामने नहीं आई है. इससे पहले 29 दिसंबर 2017 को कमला मिल्स परिसर में एक रेस्टोरेंट में आग लग गई थी. इस आग में 14 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
लेवल 2 की आग
अग्निशमन विभाग ने इसे लेवल 2 (बड़ी) आग के रूप में कैटेग्राइज किया है. विभाग ने आग बुझाने के लिए नौ दमकल गाड़ियों और अन्य अग्निशमन वाहनों को घटनास्थल पर भेजा है. अधिकारी ने बताया कि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
भारत में आग से बचाव के उपायों की कमी कई कारणों से है, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:
- अवधारणा और जागरूकता की कमी: बहुत से लोग आग से बचाव के मानकों और उपायों के बारे में नहीं जानते हैं। सुरक्षा के प्रति जागरूकता कम है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और कम आय वाले परिवारों में।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: कई जगहों पर अग्निशमन सेवाओं और उपकरणों की पहुंच सीमित है। शहरों में भी अक्सर उपकरण पुराने होते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में फायर ब्रिगेड की मौजूदगी नहीं होती।
- निर्माण में सुरक्षा मानकों की अनदेखी: भवन निर्माण के दौरान अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता। ऊंची इमारतों और औद्योगिक क्षेत्रों में भी अक्सर सुरक्षा उपकरणों जैसे फायर अलार्म, स्प्रिंकलर सिस्टम आदि की कमी होती है।
- कानूनी और प्रशासनिक ढिलाई: अग्नि सुरक्षा के लिए कई कानून और नियम हैं, लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं किया जाता। कई बार बिल्डरों, उद्योगपतियों और अन्य जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा नियमों की अनदेखी की जाती है।
- अप्रशिक्षित अग्निशमन कर्मचारी: अग्निशमन सेवाओं में काम करने वाले कई कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण नहीं मिलता। इसके अलावा अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
- संकरी गलियाँ और भीड़भाड़: शहरी इलाकों में आग लगने की स्थिति में संकरी गलियाँ और अव्यवस्थित यातायात के कारण फायर ब्रिगेड को मौके पर पहुँचने में समय लगता है, जिससे आग फैलती है।
- वित्तीय सीमाएँ: कई छोटे व्यवसायों और घरों में अग्नि सुरक्षा उपकरण लगवाना महंगा पड़ता है, इसलिए लोग इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
आपदाएँ कभी भी और कहीं भी आ सकती हैं, चाहे वह प्राकृतिक आपदाएँ हों जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा, या मानवजनित आपदाएँ जैसे आग, दुर्घटनाएँ, या रासायनिक विस्फोट। इन आपदाओं का सामना करने के लिए हमें न केवल वयस्कों को तैयार करना चाहिए, बल्कि बच्चों को भी आपदा प्रबंधन के बारे में सिखाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत जैसे विविध भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश में, जहाँ प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएँ अधिक होती हैं, आपदा प्रबंधन को स्कूली पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना नितांत आवश्यक है।
आपदा प्रबंधन क्यों है जरूरी?
बच्चों को आपदा प्रबंधन के बारे में सिखाने का उद्देश्य उन्हें ऐसी स्थितियों में शांत और प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया देना सिखाना है। जब बच्चे आपदा प्रबंधन के सिद्धांतों से परिचित होते हैं, तो वे न केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं, बल्कि अपने साथियों और परिवार को भी सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, बचपन में सीखे गए ये कौशल जीवन भर काम आते हैं, जिससे वे बड़े होकर एक जिम्मेदार और सचेत नागरिक बनते हैं।
बच्चों के लिए आपदा प्रबंधन की शिक्षा के लाभ
सुरक्षा जागरूकता: बच्चों को विभिन्न प्रकार की आपदाओं, जैसे भूकंप, बाढ़, सुनामी, आग आदि के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। इससे वे आपातकालीन स्थितियों में घबराने के बजाय सही निर्णय ले सकेंगे। वे जान पाएंगे कि उन्हें किस स्थिति में क्या करना है और किस तरह अपनी और दूसरों की सुरक्षा करनी है।
सहज और सटीक प्रतिक्रिया: जब बच्चों को आपदा के समय क्या करना है, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है, तो वे जल्दी और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आग लगने की स्थिति में वे तुरंत इमारत से बाहर निकलने के सुरक्षित मार्ग की पहचान कर सकते हैं और धुएं से बचने के लिए ज़मीन के नज़दीक रेंगने जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
समाज की सेवा और नेतृत्व कौशल: आपदा प्रबंधन का एक अन्य पहलू यह है कि यह बच्चों में समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना को विकसित करता है। वे जान जाते हैं कि एक आपदा की स्थिति में उन्हें न केवल अपनी सुरक्षा करनी है, बल्कि दूसरों की भी मदद करनी है। इससे उनका आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता भी बढ़ती है।
स्कूलों में कैसे सिखाया जा सकता है आपदा प्रबंधन?
सैद्धांतिक शिक्षा: पाठ्यपुस्तकों में आपदा प्रबंधन के बुनियादी सिद्धांत शामिल किए जा सकते हैं, जिनमें आपदाओं के प्रकार, कारण, प्रभाव और उनसे निपटने के तरीकों की जानकारी हो। बच्चों को विभिन्न आपदाओं के बारे में समझाने के लिए इन्फोग्राफिक्स, चित्र और वीडियो का उपयोग किया जा सकता है।
प्रैक्टिकल ड्रिल: स्कूलों में नियमित रूप से आपदा प्रबंधन ड्रिल आयोजित की जा सकती है, जिसमें बच्चों को भूकंप, आग, या अन्य आपदाओं के समय क्या करना है, इसका व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाए। इससे वे आपातकालीन स्थितियों में स्वाभाविक रूप से सही कदम उठाने में सक्षम हो सकेंगे।
कैंप और वर्कशॉप: आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर स्कूलों में वर्कशॉप या कैंप आयोजित किए जा सकते हैं। इनमें बच्चों को CPR (Cardiopulmonary Resuscitation), प्राथमिक चिकित्सा, और आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करने के तरीके सिखाए जा सकते हैं।