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भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पूर्व अधिकारी तेजदीप कौर मेनन के नेतृत्व में तेलंगाना सिख सोसाइटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने सचिवालय में शब्बीर से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ‘इमरजेंसी’ की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की।

कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ‘इमरजेंसी’ रिलीज से पहले ही मुश्किलों में फंसती नजर आ रही है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सिख समुदाय के नेताओं को भरोसा दिलाया है कि उनकी सरकार कानूनी सलाह लेने के बाद राज्य में कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ‘इमरजेंसी’ पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करेगी। रेड्डी सरकार के सलाहकार मोहम्मद अली शब्बीर ने इसकी जानकारी दी है।

इस बीच  शिरोमणि अकाली दल ने भी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को कानूनी नोटिस भेजा है। पार्टी ने सिख समुदाय से संबंधित लोगों के चित्रण पर चिंता जताते हुए फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग कर रही है। शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने यह नोटिस भेजा है। इसमें दावा किया गया है कि ‘इमरजेंसी’ के हाल ही में जारी ट्रेलर में ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से दर्शाया गया है। ये चित्रण सिख समुदाय का गलत चित्रण करते हैं। यह नफरत और सामाजिक कलह को बढ़ावा देता है।

तेलंगाना में किसने की मांग?

इससे पहले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पूर्व अधिकारी तेजदीप कौर मेनन के नेतृत्व में तेलंगाना सिख सोसाइटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने सचिवालय में शब्बीर से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ‘इमरजेंसी’ की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की। शब्बीर ने गुरुवार को बयान जारी कर बताया कि 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने फिल्म में सिख समुदाय के प्रदर्शन पर गहरी चिंता व्यक्त की है।

बयान के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि ‘इमरजेंसी’ में सिखों को आतंकी और राष्ट्र-विरोधी तत्व के रूप में दिखाया गया है। यह अपमानजनक  और समुदाय की छवि को ठेस पहुंचाने वाला है। शब्बीर ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वह तेलंगाना में ‘इमरजेंसी’ के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करें। शब्बीर ने रेड्डी से मुलाकात के बाद बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि कानूनी सलाह लेने के बाद इस मुद्दे पर फैसला किया जाएगा।

किसान आंदोलन को लेकर विवादित टिप्पणी की थी

किसान आंदोलन को लेकर अभिनेत्री और मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत के विवादित बयान पर बवाल जारी है. विपक्षी पार्टियां और किसान ने कंगना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इस बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कंगना रनौत और इमरजेंसी फिल्म के निर्माताओं को लीगल नोटिस भेजा है. लीगल नोटिस में फिल्म के ट्रेलर और फिल्म में से सिखों को गलत तरीके से दिखाने वाले सीन हटाने के लिए कहा गया है.

कंगना रनौत ने क्या कहा था?

वहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मंगलवार (27 अगस्त) को कंगना रनौत के बयान की निंदा करने के लिए कांग्रेस समर्थित एक प्रस्ताव पारित किया गया. कंगना रनौत ने ‘दैनिक भास्कर’ को दिए इंटरव्यू में कहा, ”अगर देश में मजबूत नेतृत्व नहीं होता, तो भारत में ‘बांग्लादेश जैसी स्थिति’ पैदा हो सकती थी. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान शव लटक रहे थे और रेप हो रहे थे.”

कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कंगना रनौत के बयान को बड़ा मुद्दा बनाया है. आम आदमी पार्टी (आप) ने भी मंगलवार को प्रदर्शन किया. शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने भी कंगना रनौत पर निशाना साधते हुए उम्मीद जताई कि वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगेंगी और बीजेपी इस पर खेद व्यक्त करेगी.

उन्होंने कहा, ‘‘कंगना रनौत ने किसानों के खिलाफ अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगी है. बीजेपी के बयान में किसानों के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई खेद नहीं जताया गया है. वह बीजेपी की सदस्य और सांसद हैं, अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो यह कहना उचित होगा कि भाजपा किसानों के लिए केवल दिखावटी वादा कर रही है.’’

बीजेपी की सफाई

बीजेपी ने भी कंगना रनौत के बयान से दूरी बना ली. पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘बीजेपी सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में दिया गया बयान, पार्टी का मत नहीं है. बीजेपी कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है. पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं.’’

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