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डिपॉजिट की कमी से बैंकों ने चली ये चाल, कर्जदारों को होगा नुक्सान
Due to a shortage of deposits, banks have taken this action; borrowers will incur losses.

आरबीआई की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की इस हफ्ते मीटिंग हो रही है। जानकारों का कहना है कि समिति एक बार फिर ब्याज दरों को यथावत रख सकती है। लेकिन बैंक चुनिंदा तरीके से डिपॉजिट और लेडिंग रेट्स में बढ़ोतरी कर रहे हैं। 

एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा का कहना है कि बाजार अब ब्याज दरों में डायरेक्शन के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर नहीं देख सकते। उन्होंने कहा कि अब स्थिति बहुत बदल चुकी है। 

ऐसा नहीं है कि अमेरिकी फेड रेट्स घटाता है और बाकी सभी भी उसकी राह पर चलते हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने सबसे पहले ब्याज दरों में कटौती की और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने ऐसा किया। दूसरी ओर जापान ने हाल में ब्याज दरें बढ़ाई हैं। दुनिया के सभी केंद्रीय बैंक इसे लेकर एकमत नहीं हैं।

बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कर्नाटक ने कहा कि संसाधनों के लिए लड़ाई कुछ तिमाहियों तक जारी रहने वाली है। उन्होंने कहा कि हम कॉस्ट ऑफ डिपॉजिट में बढ़ोतरी का बोझ हाई एमसीएलआर दरों के रूप में बोरोअर्स पर डाल रहे हैं और हम इसे रेपो दर से भी आगे ले जा सकते हैं। 

इंटरेस्ट रेट मार्केट की समस्या यह है कि डिपॉजिटर्स सेविंग अकाउंट्स पर पर्याप्त ब्याज नहीं देने के लिए बैंकों को दंडित कर रहे हैं, वहीं बड़ी कंपनियां अभी भी अपनी उधार दरें तय कर रही हैं। एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों के पास अब भी प्राइसिंग पावर है। 

जनवरी से जून 2024 तक नए रुपये के ऋण पर वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट में 11 बीपीएस की कमी आई है, जबकि वेटेड एवरेज डोमेस्टिक टर्म डिपॉजिट रेट में 3 बीपीएस की वृद्धि हुई है। यह असीमिट्रिक ट्रांजैक्शन का एक क्लासिक मामला है। इसका मतलब है कि छोटे कारोबार रेट में बढ़ोतरी का खामियाजा भुगत रहे हैं।

कब घटेगा रेपो रेट (When will the repo rate reduce?)

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती दिसंबर 2024 में हो सकती है। RBI की MPC के इस बार भी रेपो दर को स्थिर रखने की संभावना है। बार्कलेज की क्षेत्रीय अर्थशास्त्री श्रेया सोधानी ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती 2025 तक टलने की संभावना है। 

सोधानी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि ब्याज दरों में कटौती के लिए विंडो दिसंबर 2024 में ही खुलेगी, लेकिन जोखिम यह है कि पहली कटौती 2025 तक टल सकती है। RBI ने अपने हालिया कम्युनिकेशन में खाद्य महंगाई में बढ़ोतरी को लेकर सतर्कता बरती गई है।

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