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RBI ने अपने ई-मैंडेट फ्रेमवर्क में एक अपडेट की घोषणा की है। RBI ने फास्टैग और नैशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) की ऑटो-रिप्लेनिशमेंट को ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत शामिल करने का निर्णय लिया है।

इससे यूजर्स FASTag बैलेंस तय सीमा से नीचे जाने पर ऑटोमेटिकली पैसा ऐड कर पाएंगे। मतलब जब बैलेंस ग्राहक द्वारा तय सीमा से कम हो जाता है, तो ई-मैंडेट ऑटोमैटिक रूप से फास्टैग और NCMC की भरपाई कर देगा।

ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को 2019 में स्थापित किया गया था। इसका मकसद कस्टमर्स को उनके अकाउंट्स से होने वाले डेबिट की जानकारी देकर उनके हितों की रक्षा करना है। RBI ने एक सर्कुलर में कहा कि फास्टैग और NCMC में बैलेंस की ऑटो-रिप्लेनिशमेंट, जो ग्राहक द्वारा निर्धारित सीमा से कम होने पर ट्रिगर हो जाती है, अब मौजूदा ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत आएगी।

ये ट्रांजैक्शन रेकरिंग होने के कारण, वास्तविक शुल्क से 24 घंटे पहले ग्राहकों को प्री-डेबिट नोटिफिकेशन भेजने की आवश्यकता से मुक्त होंगे। जून में आरबीआई ने फास्टैग और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड को ऑटो पेमेंट मोड में लाने का प्रस्ताव दिया है।

मौजूदा ई-मैंडेट ढांचे के तहत ग्राहक के खाते से पैसे निकालने से कम से कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देने की आवश्यकता होती है।

क्या है ई-मैंडेट

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जून में कहा था कि ई-मैंडेट यानी भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से मंजूरी के तहत अभी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि जैसे निश्चित अवधि वाली सुविधाओं के लिए निश्चित समय पर ग्राहक के खाते से भुगतान स्वयं हो जाता है।

अब इसमें ऐसी सुविधाओं और प्लेटफॉर्म्स को जोड़ा जा रहा है जिनके लिए भुगतान का कोई समय तय नहीं है जबकि भुगतान जमा राशि कम होने पर किया जाता है। ई-मैंडेट ग्राहकों के लिए आरबीआई द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल भुगतान सेवा है। इसकी शुरुआत 10 जनवरी, 2020 को की गई थी।

RBI ने अपने ई-मैंडेट फ्रेमवर्क को अपडेट किया है। इसमें फास्टैग और नैशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) की ऑटो-रिप्लेनिशमेंट को ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत शामिल करने का निर्णय लिया है। जून में केंद्रीय बैंक ने इसका प्रस्ताव दिया था।

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