the better india.in

Term Deposits by Senior Citizens: टर्म डिपॉजिट यानी एफडी में सीनियर सिटिजंस की हिस्सेदारी बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर युवा पीढ़ी इस तरह के पारंपरिक निवेश से दूरी बना रही है। इसका कारण इस पर लगने वाले टैक्स से भी हो सकता है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार को एफडी के रिटर्न पर लगने वाले टैक्स में बदलाव करना चाहिए?

निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) काफी लोगों का पसंदीदा विकल्प होता है। इसका कारण है कि इसमें निवेशकों को एक तय रिटर्न मिलता है। बाजार का कोई जोखिम नहीं होता। एक रिपोर्ट के मुताबिक टर्म डिपॉजिट (RD और FD) में सीनियर सिटिजंस की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।

SBI रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक कुल एफडी में सीनियर सिटिजंस की हिस्सेदारी करीब 47 फीसदी है। वहीं इस तरह के पारंपरिक निवेश से युवा दूरी बना रहे हैं और कैपिटल मार्केट में रुचि दिखा रहे हैं। कैपिटल मार्केट में निवेशकों की औसत आयु अब 32 साल है।

यही नहीं, इसमें करीब 40 फीसदी निवेशक 30 साल से कम आयु के हैं। यानी युवा कैपिटल मार्केट में निवेश को तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि सरकार को म्यूचुअल फंड या इक्विटी मार्केट से मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स में बदलाव करना चाहिए?

इतना पड़ता है असर

अभी निवेश पर शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स लगता है। हमारे यहयोगी इकॉनमिक टाइम्स में प्रकाशिक एक खबर में एफडी पर लगने वाले टैक्स की कैल्कुलेशन की गई। इसमें 1970-71 से 2023-24 तक जमाराशि पर प्रति व्यक्ति आय (पीसीआई) के सालाना डेटा का इस्तेमाल किया गया।

इससे मिले रिजल्ट से पता चला कि अगर प्रति व्यक्ति आय में 1000 रुपये की वृद्धि होती है टैक्स देने के बाद 613 रुपये की वृद्धि होती है। अन्यथा इसमें 652 रुपये की वृद्धि हो सकती थी। हालांकि लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म में निवेश पर टैक्स की देनदारी अलग-अलग होती है।

 

पारंपरिक निवेश से यह है दूरी बनाने का कारण

रिपार्ट के मुताबिक युवा बैंकों में रकम जमा करने और टर्म डिपॉजिट से भी दूरी बना रहे हैं। यह तब है जब यहां निवेश करने पर एक निश्चित रिटर्न मिलता है। इसके बाद भी युवाओं को इस तरह के निवेश आकर्षित नहीं कर रहे हैं। दरअसल, यहां से मिले रिटर्न पर टैक्स चुकाने के बाद बहुत ज्यादा रकम हाथ में नहीं आती है।

कितना मिलता है ब्याज?

सीनियर सिटिजंस को सभी बैंक आम निवेशकों के मुकाबले कुछ ज्यादा ब्याज ऑफर करते हैं। अगर कोई बैंक एफडी पर किसी खास समय जैसे एक साल या दो साल के लिए 8.50 फीसदी का सालाना ब्याज दे रहा है तो सीनियर सिटिजंस के लिए यह ब्याज दर 9 फीसदी हो सकती है। वहीं टैक्स भरने के मामले में भी सीनियर सिटिजंस को कुछ छूट मिली हुई हैं। इन कारणों से भी सीनियर सिटिजंस को एफडी में निवेश ज्यादा भा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *