दोस्तों, इस तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति के किरदार को आपने शायद कई फिल्मो में निभाए जाते देखा होगा| ये है आर एन काओ, कौन है ये काव, आइये इनके बारे में जानते है | आर.एन.काव, यानी रामेश्वर नाथ काव का लक्ष्य देश पर किसी भी खतरे के आने से पहले इंटेलिजेंस इक्कट्ठा करना था | साल १९६८ में इंदिरा गाँधी के साथ मिलकर इन्होने रॉ कि स्थापना की और कुछ ही सालों में रॉ को दुनिया की सबसे बेहतरीन इंटेलिजेंस सर्विसेज में से एक बना दिया | १९७१ में पाकिस्तान को हराने और बांग्लादेश को आज़ाद कराने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा | सिक्किम को चाइना की नाक के नीचे से छीन कर भारत में मिलाने का श्रेय इन्ही की खुफिया इंटेलिजेंस और रणनीति को जाता है | साल १९७४ में ऑपरेशन स्मिलिंग बुद्धा यानि देश का पहला सफल नुक्लेअर परिक्षण कराने में इन्ही की खुफिया प्लानिंग थी |

आर.एन.काव खालिस्तान मूवमेंट

खालिस्तान मूवमेंट को दबाने का काम हो या पाकिस्तान का नुक्लेअर प्रोग्राम रोकने के लिए ऑपरेशन कहुटा, अफ्रीका में एंटी अपर्ठेइड मूवमेंट रोकने का ऑपरेशन हो या श्री लंका में ऑपरेशन कैक्टस, इनके योगदान के बिना किसी का भी सफल हो पाना नामुमकिन था | ये भारत के पहले स्पाई मास्टर थे | इनके बारे में और जानकारी के लिए डिस्क्रिप्शन में दिए लिंक पर क्लिक करे | विडियो पसदं आया हो तो लिखे करे और अगर चैनल पर नए है तो सब्सक्राइब ज़रूर करे , जिससे आपको ऐसे अनेको महान लोगो के बारे में जानकारी मिलती रहे |

भारत के नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर यानी NSA प्रमुख, अजीत डोभाल का नाम, उनकी रॉ से जुडी कहानियों और मिशन के बारे में लगभग हर भारतीय को पता है | लेकिन भारत की इस खुफिया एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी RAW के संस्थापक और करीब ९ साल तक रॉ प्रमुख रहे, आर एन काओ के बारे में बहुत कम लोग जानते है | भारत के इस स्पाई मास्टर के जीवन से जुड़े कई पहलु है जो लोगो से अनभिज्ञ है | आज हम इन्ही के जीवन से जुड़े कई तथ्यों पर रौशनी डालेंगे और प्रयास करेंगे कि इस विडियो में आपको इनसे और रॉ से जुडी कई महत्वपूर्ण बातें बता सके |

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दोस्तों, आर एन काओ का पूरा नाम रामेश्वर नाथ काओ था, ये आज ही के दिन यानी १० मई १९१८ को बनारस में एक कश्मीर हिन्दू परिवार में जन्मे| अपने ख़ास लोगो में ये मिस्टर काओ या रामजी के नाम से प्रसिद्द थे | बचपन से शांत और सरल स्वाभाव वाले रामजी ने आर्ट्स में ग्रेजुएशन और इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद साल १९३९ में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया और अल्लाहाबाद में ही लॉ की पढाई करने लगे | सिविल सर्विसेज में सेलेक्ट होने के बाद रामजी ने लॉ कि पढाई छोड़ दी और इंडियन इम्पीरियल पुलिस में असिस्टेंट सुपरिन्टेन्डेन्ट ऑफ़ पुलिस का पद प्राप्त किया | इनकी पहली पोस्टिंग कानपुर में हुई |

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आजादी के बाद, इन्हें भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो में वी आई पी सिक्यूरिटी विभाग के हेड के रूप में नियुक्त किया गया | जिसमें उन्हें पंडित नेहरु की पूरी सिक्यूरिटी का ज़िम्मा भी सौंपा गया | इस दौरान वे पंडित नेहरु के करीबी हो गये और नेहरु उनपर जान से भी ज्यादा भरोसे करने लगे , यही वजह है कि जब घाना देश ने भारत से, उनके देश के लिए एक खुफिया एजेंसी के गठन की मदद मांगी तो नेहरु जी ने ये ज़िम्मेदारी रामजी को सौंपी और उन्होंने इस काम को बखूबी किया |
काव को अपने करियर की शुरुआत में ही एक बेहद बड़ा ऑपरेशन करने का मौका मिला, इस ऑपरेशन की सफलता ने ही साबित कर दिया था कि साधारण से दिखने वाले काव असाधारण सोच के साथ काम करते हैं। साल १९५५ में चीन की सरकार ने एयर इंडिया का ‘कश्मीर प्रिंसेज’ नाम का एक चार्टर विमान बुक किया, जो हॉन्गकॉन्ग से जकार्ता के लिए उड़ान भरने वाला था। इसमें चीन के प्रधानमंत्री चू एन लाई बांडुंग जाने वाले थे। लेकिन प्रधानमंत्री लाई ने एपेंडेसाइसटिस का दर्द उठने के कारण यात्रा रद्द कर दी। विमान ने उड़ान भरी और इंडोनेशिया के तट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें बैठे ज्यादातर चीनी अधिकारी और पत्रकार मारे गए। भारत की तरफ से रामेश्वरनाथ काव को इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। काव ने बेहद कम समय में जांच पूरी की और बताया कि यह हादसा सामान्य नहीं था। इसके पीछे ताइवान की इंटेलीजेंस एजेंसी का हाथ था। चीनी प्रधानमंत्री काव से इतना प्रभावित हुए कि उन्हें अपने दफ्तर में विशेष महमान के तौर पर बुलाया और उनके नाम एक लैटर ऑफ़ रिकमेन्डेशन लिखा |

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आज़ादी के बाद से ही भारत की आई बी ज़्यादातर देश के आतंरिक मामलो पर ध्यान देती ही और विदेशी मामलो को देखने के लिए सीआईए, ऍम आई ६ या मोसाद जैसा कोई डेडिकेटेड विभाग नही था इसी वजह से एक के बाद एक आई बी का इंटेलिजेंस फेलियर देश के लिए चिंता विषय था | फिर चाहे साल १९६२ के भारत – चीन युद्ध हो, या १९६५ में पाकिस्तान का भारत पर हमला, जिसके बाद १९६६ में हुई भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और नुक्लेअर साइंटिस्ट होमी जहाँगीर की रहस्मयी मौत ने भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो पर सवालिया निशान लगा दिया क्युकी आई बी इन खतरों को भांपने में पूरी तरह नाकामयाब रही |
तब भारत में अमेरिका एवं अन्य देशों की तरह एक खुफिया विभाग बनाने पर जोर दिया जाने लगा जो विदेशी खतरों को भांपने के लिए ही समर्पित हो, और इस काम के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने काओ को चुना | उन्हें रॉ का गठन करने की ज़िम्मेदारी और खुली छूट दी गयी | वे इस विभाग को एक और जनरल पुलिस से भरा हुआ डिपार्टमेंट नही बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने देशभर के कई अलग अलग डिपार्टमेंट से अपनी टीम चुननी शुरू की, और शुरुआत हुई भारत में खुफिया विभाग के नए दौर की | साल १९६८ में उन्होंने रॉ का गठन किया और वे रॉ के पहले चीफ बने, उनकी रिपोर्टिंग सिर्फ प्रधान मंत्री को थी, उन्हें अपना काम करने और देश को सुरक्षित रखने की पूरी आज़ादी दी गयी थी |
१९६० के दशक में पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में बर्बरता और आतंक फैलाना शुरू कर दिया था, साल १९७१ में इनके नेतृत्व में रॉ और फील्ड मार्शल सैम मानिक शॉ के नेत्रत्व में इंडियन आर्मी ने मिलकर पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ एक क्रन्तिकारी संगठन “मुक्ति बहिनी” की स्थापना की और उन्हें पाकिस्तानी फोर्सेज से लड़ने की ट्रेनिंग दी | ये वो साल रहा जहां प्रधान मंत्री से इनकी मुलाकात आम हो गयी | हर छोटी से छोटी खुफिया जानकारी डिस्कस की जाती, योजनायें बनायीं जाती | इंदिरा गाँधी के खास सलाहकारों में डी पी धार, पी एन हक्सर, और टी एन कॉल के बाद अब एक और कश्मीरी शामिल हो चुका था | उन्होंने पाकिस्तान के सीक्रेट मेसेजस इन्तेर्सप्ट्स और डिकोड कर इंडियन आर्मी और एयरफोर्स को रणनीति बनाने में सहायता दी |

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पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेश में किए गये भीषण नरसंहार और अमानवीय कृत्यों के खिलाफ लड़ने के लिए रॉ ने मुख्य रूप से बांग्लादेश की मदद की और बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ाद कराया , इस युद्ध के परिणाम में सभी पश्चिमी देश जब भारत के खिलाफ खड़े हो गये और पाकिस्तान के सपोर्ट में अपने अपने जहाज हिन्दुस्तान की तरफ भेजने लगे, तब इन्ही के प्रयासों से रूस, जो उस समय सोवियत संघ हुआ करता था, दर्जनों पश्चिमी देशो के सामने भारत की ढाल बनकर खड़ा हो गया |
साल 1975 में उन्होंने चीन के बड़ते साम्राज्यवाद के खतरे को भांपते हुए, सिक्किम को चीन से बचने में अहम् भूमिका निभाई और भारत को सिक्किम के रूप में एक नया राज्य मिला | सिक्किम को भारत में मिलाने में इनके द्वारा समय रहते दी गयी इंटेल का योगदान अहम् साबित हुआ | चीन की सेना सिक्किम की सीमा पर थी, पर चीन के नाक ने नीचे से, बगैर खून बहाए लगभाग ३००० स्क्वायर किलोमीटर का एरिया यानी सिक्किम, उन्होंने भारत की सीमा में मिला दिया | स्थापना के महज ४-५ सालों में रॉ दुनिया की सबसे बेहतरीन खुफिया विभागों में से एक मानी जाने लगी, इनकी टीम को लोग काऊबॉयज कहने लगे थे |
१९७५ के इमरजेंसी के दौर में इन्होने इंदिरा गाँधी को इमरजेंसी न लगाने का सुझाव दिया था जो नजरअंदाज कर दिया गया और उसके दुसरे वर्ष यानी १९७७ में जब जनता दल की सरकार चुनी गयी, मोरारजी देसाई पहली बार प्रधान मंत्री बने, उस समय इन्हें मालूम था कि इंदिरा गाँधी के ख़ास सलाहकार होने के कारण इनको इमरजेंसी के परिणामस्वरूप सजा मिलेगी | इनका नाम कई मामलों में जोड़ा गया , लेकिन सभी आरोप बाद में बेबुनियाद साबित हुए , जिसके बाद इन्होने अपने पद से इस्तीफा दे दिया | साल १९८० में इंदिरा गाँधी दोबारा प्रधानमंत्री बनी और इन्हें एक बार फिर देश सेवा का न्योता दिया गया | ये प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे और पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट को दबाने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार में इंडियन आर्मी को महत्वपूर्ण जानकारी और प्लानिंग में मदद की | इन्ही के अथक प्रयासों और सुझावों से देश में आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड यानी NSG की स्थापना हुई |
इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद ये कुछ समय तक राजीव गाँधी के भी सलाहकार रहे |
साल १९८२ में फ्रांस की खुफिया एजेंसी के प्रमुख से जब पूछ गया कि वे दुनिया के ख़ुफ़िया प्रमुख में से सबसे बेहतरीन ५ किसे चुनेंगे, उन्होंने आर एन काओ को पांच में से दूसरा स्थान दिया |
ऐसे खुफिया विभाग के जीनियस स्पाई की निजी ज़िन्दगी की बात करे तो वे एक परफेक्ट फॅमिली मैन थे| वे बेहद शर्मीले किस्म के व्यक्ति थे, उनमें जानवरों के प्रति प्रेम और स्नेह का भाव था, तभी वे बारिश के समय अपने घर का दरवाजा खुला रखते थे कि किसी जानवर को अगर बारिश से बचने के लिए आसरा चाहिए तो वो उनके घर में आ सकता था | कश्मीर पलायन के समय भी उन्होंने कई कश्मीरी पंडितों की सहायता की |
कला के प्रति उनकी पारखी नज़र, और सम्मान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि अपने खाली समय में ये मूर्ति बनाने या पेंटिंग करने में व्यस्त रहते थे | उन्होंने कई स्ट्रगल कर रहे आर्टिस्ट्स की मदद की |

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दिल्ली में हुई एक तिब्बेतन कांफ्रेंस में जब दलाई लामा ने १५०० लोगो की भीड़ में इन्हें पहचान लिया और अपने पुराने दोस्त से मिलने के लिए मुस्कुराते हुए इनकी तरफ आये और बातचीत करने लगे, शर्मीला स्वभाव होने के कारण काओ उस समय असहज महसूस करने लगे क्युकी सभी की नज़रें उनकी तरफ थी, उन्हें लाइमलाइट में आना पसंद नही था, यही वजह थी रिटायरमेंट के बाद भी न तो उन्होंने किसी को कोई इंटरव्यू दिया न ही कोई आत्मकथा या पुस्तक लिखी क्युकी वे एक बेहद ही निजी व्यक्ति थे |
बांग्लादेश के आज़ादी के २५ वर्षगांठ पर जब इन्हें बुलाया गया, वहां मौजूद बंगलादेशी पत्रकार ने इनसे कहा कि “आपको धन्यवाद् है कि आपने हमें आज़ाद कराया, पर आप अलग कोने में क्यों बेठे है, आपके कारण ही सब पॉसिबल हो पाया आपको तो सबके बीच में बैठना चाहिए, उस समय काओ ने सहज भाव में उत्तर दिया कि मैंने कुछ नही किया, जो कुछ किया इन लोगों ने किया | इतना विनम्र स्वाभाव, इतनी शालीनता – किसी महान व्यक्ति में ही हो सकती है तभी तो जब वे अपनी पत्नी मालिनी के साथ एक बार माँ आनंदमयी के दर्शन करने पहुंचे, वहां उन संत ने इनके सौम्य व्यक्तित्व को देखकर इनसे इनका नाम पूछा, और वे बोले “रामजी” यह सुनकर संत बोल पड़ी, “यथा नाम तथा गुण” यानी जैसा नाम वैसे ही गुण | ऐसा अनोखा व्यक्तित्व – ख़ास होकर भी आम सा रहना – उन्हें और ख़ास बनता था |
ज्वॉइंट इंटेलिजेंस कमिटी के चेयरमैन के.एन दारुवाला द्वारा लिखा गया एक नोट आरएन काव की काबिलियत बताता है। उन्होंने लिखा था कि – दुनियाभर में काव के संपर्क कुछ अलग ही थे। खासकर एशिया, अफगानिस्तान, चीन और ईरान में। वे सिर्फ एक फोन लगाकर काम करवा सकते थे। वे ऐसे टीम लीडर थे जिन्होंने इंटर डिपार्टमेंटल कॉम्पिटिशन, जो कि भारत में आम बात है उसको खत्म कर दिया था।
२० जनवरी २०२२ को इनका निधन हो गया। मगर उससे पहले काव भारत में मॉडर्न इंटेलिजेंस सर्विस की एक ऐसी नींव रख चुके थे आज एक मजबूत और सुरक्षित किला बनकर हमारे देश की रक्षा कर रही है।
आप इनके बारे में क्या – क्या जानते थे, हमें कमेंट्स में ज़रूर बताएं आपको हमारी आज की ये विडियो अच्छी लगी है तो विडियो को लैक ज़रूर करें साथ ही साथ अपनी फॅमिली और फ्रेंड्स को भी ये जानकारी शेयर करें , बाकी अगर चैनल पर नए है तो ऐसी ही ख़ास जानकारियों के लिए चैनल को सब्सक्राइब करें | धन्यवाद

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