हम भारतीय लोग महारानी लक्ष्मी के साहस और वीरता के बारे में बखूबी जानते है, मगर भारत में कुछ ऐसी भी वीरांगनाएं हुई है जिनकी वीरता के किस्से और कहानियां समय के साथ साथ इतिहास के पन्नों में कहीं गुम सी हो गयी है।
ऐसी ही एक वीरांगना है, रानी नायकी देवी – जिनकी वीरता के आगे मोहम्मद घोरी को न सिर्फ घुटने टेकने पड़े बल्कि कहा जाता है कि) युद्ध में हार के बाद वो इतना डर गया था की, भागते भागते जब तक वो काबुल वापस नहीं पहुंचा, वो अपने घोड़े से नहीं उतरा।
दोस्तों, रानी नायकी देवी, कदम्ब शासक महामंडलेश्वर परमादी की पुत्री थी और उनका जन्म कोंकण क्षेत्र में हुआ था, बचपन से ही वे अस्त्र-शस्त्र चलाने, घुड़सवारी, तीरंदाज़ी, युद्ध कौशल जैसे कई गुणों में निपुण थी। इनका विवाह गुजरात के चालुक्य वंश के राजा अजय पाल से हुआ – जिन्हे सोलंकी भी कहा जाता था। इनकी राजधानी अन्हिलवाड़ पाटन थी। विवाह के कुछ साल बाद ही, राजा अजय पाल का देहांत हो गया और उनके पुत्र, मूलराज द्वितीय को राज्य की कमान सौंपी गयी। राजकुमार मूलराज लगभग ३ वर्ष के थे, और राज्य करने में असमर्थ थे, इसलिए मंत्रियों की सलाह पर रानी नायकी देवी को राजगद्दी सौंपी गयी।


दोस्तों जैसा कि आपने राजामौली जी की फिल्म, बाहुबली में देखा होगा कि किस प्रकार राजा के न होने पर, और युवराज की उम्र काम होने पर, रानी शिवगामी देवी ने राज्य की बाग़डोर संभाली, ठीक उसी प्रकार, रानी नायकी देवी ने राज्य को संभाला।



दोस्तों, गुजरात के राजा का निधन हो चुका है, उसका उत्तराधिकारी महज ३ वर्ष का है, और शाशन प्रशाशन एक २५-३० साल की रानी के हाथ में – इस बात की खबर काबुल में बैठे घोरी को मिली तो उसकी आँखें चमक उठीं, उसने पाटन की समृद्धि के बारे में सुन रखा था, वो जानता था कि गुजरात एक अमीर प्रान्त है, तभी महमूद ग़ज़नी ने भी अनेकों बार वह लूटपात की थी। घोरी ने सोचा कि एक छोटा बाल राजकुमार और एक औरत उसकी विशाल सेना का क्या ही मुकाबला कर पाएंगे, ऐसा सोचकर वो एक बहुत बड़ी सेना लेकर गुजरात की तरफ बढ़ने लगा। उसने रास्ते में, मुल्तान जीतने के बाद उसने राजपुताना पर भी हमले किये और फिर पाटन की ओर बढ़ने लगा। नायकी देवी के गुप्तचरों ने उनको इस सामने आते खतरे के बारे में समय रहते सचेत किया और फिर शुरू हुआ एक घमंडी, खूंखार विदेशी आक्रांता से लोहा लेने के लिए – भारतीय वीरांगना का एक ढाल बनकर देश की रक्षा करने का एक अद्वितीय अभियान।

रानी नायकी देवी


सबसे पहले उन्होंने आसपास के राजाओं ने मदद मांगी – मगर माना जाता है कि नद्दुल , अजमेर और जालौर के चाहमान वंश के किसी भी राजा ने उनकी मदद नहीं की और उनके राज्य को उनके हाल पर छोड़ दिया।
रानी ने गुप्तचरों द्वारा घोरी की सेना का अनुमान लगवाया, और उन्हें यह समझने में देर नहीं लगी की उनकी सेना काफी छोटी है वहीँ घोरी काबुल, मुल्तान और सिआलकोट की मिली हुई सेना थी जो गिनती में कही ज़्यादा अधिक और शक्तिशाली थी।
नायकी देवी को समझ आ गया था कि ये युद्ध सीधे सीधे लड़ कर नहीं जीता जा सकता, राज्य की रक्षा के लिए और सैनिकों को कम से कम क्षति हो, ऐसा सोचकर उन्होंने राजपुताना क्षेत्र से पाटन के सारे रास्ते का मुआयना किया – यह देखने के लिए कि घोरी कि सेना को किस क्षेत्र में घेरकर हराया जा सकता है। योजना के मुताबिक उन्होंने माउंट आबू की तलहटी पर स्थित गदरघट्टा (Gadarghatta) के उबड़-खाबड़ इलाके को युद्ध क्षेत्र के रूप में चुना।

रानी नायकी देवी


इस युद्ध से जुडी कई किम्वदंतियां है, अलग अलग इतिहासकार अपने हिसाब से इसका वर्णन करते है – कि किस प्रकार रानी ने संधि प्रस्ताव भेजकर घोरी की सेना को रोक कर रखा और अपने सैनिकों को पहाड़ों में चारों तरफ छुपा दिया और सेना की केवल एक छोटी टुकड़ी लेकर अपने पुत्र को अपने साथ घोड़े पर बाँध कर घोरी की सेना के सामना करने पहुँच गयी थी |
इससे पहले कि घोरी तैयारी कर पाता या कुछ समझ पाता, उनकी सेना ने अचानक हमला किया और घोरी के सैनिकों में हाहाकार मचा दिया | अपनी सेना का एसा विध्वंश देखकर घोरी इतना डर गया कि वो घोड़े पर बैठकर अपनी सेना को लेकर भागने लगा | तब भी रानी नायकी देवी और उनके सामंतों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और उसे काफी दूर तक खदेड़ा |
एक किम्वदंती एसी भी है कि घोरी जब तक काबुल नहीं पंहुचा, तब तक अपने घोड़े से नहीं उतरा – घोरी जैसे क्रूर बादशाह के मन में ये खौफ कई सालों तक बना रहा और लगभग १० साल तक उसने भारत की तरफ आँख उठा कर नहीं देखा |
दोस्तों, ऐसी निडर और साहसी वीरांगनाएं हमारे देश में अनेकों बार जन्म ली है लेकिन उनकी कहानियाँ इतिहास के पन्नों में कहीं खो सी गयी है | ऐसी ही कहानियों को अपने चैनल के माध्यम से आप तक पहुँचाने का हम प्रयास कर रहे है |
आपको हमारा आज का ये वीडियो कैसा लगा, हमें कमैंट्स में ज़रूर बताएं! और इसी प्रकार की और भी वीडियोस को देखने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करे और हमे सपोर्ट करने के ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *