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हनुमान जी ने जहाँ बुझाई थी अपनी पूंछ में लगी आग, कहां है वो स्थान?

लंका दहन की कथा तो सभी जानते हैं कि भगवान राम का संदेश लेकर लंका गए हनुमान जी ने पूरी लंका को जलाकर राख कर दिया था। लेकिन उसके बाद हनुमान जी अपनी पूंछ में लगी आग को बुझाने और उसकी जलन को कम करने के लिए किस स्थान पर गए थे चलिए जानते है।

सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करने से वे अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर कर देते हैं, लेकिन जब हनुमान जी अपनी समस्याओं का समाधान जानने के लिए अपने प्रभु राम के पास जाते हैं।

इसी तरह हनुमान जी ने अपनी जलती हुई पूंछ को बुझाने और उसकी जलन को कम करने के लिए भगवान राम से मदद मांगी थी। हनुमान जी की विनती सुनकर राम जी ने अपने बाण से एक
जलधारा उत्पन्न की, तब हनुमान जी को अपनी पूंछ में लगी जलन से राहत मिली। वर्तमान में यह स्थान हनुमान जी के सिद्ध पीठ हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है।

कहां है वो स्थान?

भगवान राम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट में स्थित हनुमान धारा वही स्थान है। जहां हनुमान जी ने लंका दहन के बाद अपनी पूंछ में लगी आग को बुझाया था। यह विंध्य की शुरुआत में रामघाट से करीब 6 किमी दूर है। इस पवित्र स्थान पर कई प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। इनमें सीता कुंड, गुप्त गोदावरी, अनसूया आश्रम, भरत कूप आदि प्रमुख हैं। इस स्थान पर पहाड़ की चोटी पर हनुमान जी का विशाल मंदिर है। पहाड़ से एक चमत्कारी पवित्र और ठंडी जलधारा निकलती है और हनुमान जी की प्रतिमा की पूंछ को स्नान कराकर नीचे तालाब में चली जाती है।

रोगों से मिलती है मुक्ति

यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में हनुमान भक्त दर्शन के लिए आते हैं। हनुमान धारा के जल से जुड़ी एक मान्यता है, जिसके कारण लोग यहां खींचे चले आते हैं। कहा जाता है कि यहां का जल बहुत ही दिव्य और चमत्कारी है। इस जल में स्नान मात्र से लोगों के पेट के रोग ठीक हो जाते हैं। यही वजह है कि देशभर से यहां आने वाले भक्त इस चमत्कारी जल को अपने साथ ले जाते हैं।

रहस्यमयी है जलधारा

पौराणिक कथा के अनुसार इस जलधारा की उत्पत्ति श्री राम ने की थी। खास बात यह है कि हनुमान जी की प्रतिमा पर गिर रही जलधारा के निरंतर प्रवाह का स्रोत आज तक कोई नहीं खोज पाया है। यहां का पानी अमृत के समान माना जाता है और कभी सूखता नहीं है।

सीता रसोई

सीता रसोई में आपको सीता जी के बर्तन देखने को मिलते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सीता जी ने यहां ब्राह्मणों को भोजन कराया था। सीता की इस रसोई में बेलन और स्टूल भी देखने को मिलेगा। इसके साथ ही यहां अन्य मंदिर भी हैं। जहां से दूर से ही खूबसूरत नजारे भी देखे जा सकते हैं।

Aniket Dixit

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